लेखनी प्रतियोगिता -15-Mar-2023 विरह
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जख्म कांटो से उलझकर,होता तो होगा,
दर्द फूलों को भी अक्सर होता तो होगा,
जिसने बोया था हाथों से बगीचे में कभी,
सोचकर तोड़ेगा एक दिन,रोता तो होगा,
न जाने कौन सा लम्हा उसे सताएगा,
तोड़ कर डाली से संग अपने ले जाएगा,
यूं मुस्कुराते हुए चेहरों से लुटेगा एक दिन,
न जाने कौन से लम्हों में रौंदा जाएगा।
संगीता वर्मा✍️.......💞
Renu
15-Mar-2023 11:41 PM
👍👍🌺
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Haaya meer
15-Mar-2023 11:31 PM
Nice
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Swati chourasia
15-Mar-2023 08:51 PM
वाह बहुत खूब 👌
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